रमाशंकर यादव 'विद्रोही' वाक्य
उच्चारण: [ remaashenker yaadev 'viderohi' ]
उदाहरण वाक्य
- कुछ विचार ऐसे भी-: रमाशंकर यादव 'विद्रोही' की कुछ कविताएँ
- (झपताल) रमाशंकर यादव 'विद्रोही' की तीन कवितायें मकबूल फ़िदा हुसैन की पेंटिंग, शीर्षक-रेप ऑफ़ इंडिया
- गंभीर निहितार्थों, भव्य आशयों और महान स्वप्नों वाली रमाशंकर यादव 'विद्रोही' की कविताएं-धरम मेरे गांव में लोहा लगते ही टनटना उठता है सदियों पुराने पीतल का घंट, चुप हो जाते हैं जातों के गीत, खामोश हो जाती हैं आंगन बुहारती चूड़ियां, अभी नहीं बना होता है धान, चावल, हाथों से फिसल जाते हैं मूसल [...]